भारतीय शेयर बाजार में फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) क्या हैं?
जब हम भारतीय शेयर बाजार की बात करते हैं, तो ज्यादातर लोग शेयर (इक्विटी) खरीदने और बेचने के बारे में सोचते हैं। लेकिन शेयर बाजार का एक और बड़ा हिस्सा है जिसे डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग कहा जाता है। इस सेगमेंट में सबसे आम दो इंस्ट्रूमेंट हैं — फ्यूचर्स और ऑप्शंस।
आइए इन्हें सरल भाषा में समझते हैं।
🔹 फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स (Futures Contracts)
फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट एक स्टैंडर्ड एग्रीमेंट होता है जिसमें किसी अंडरलाईंग एसेट (जैसे स्टॉक, इंडेक्स, कमोडिटी) को भविष्य की किसी तय तारीख पर पहले से तय कीमत पर खरीदने या बेचने का समझौता होता है।
🔑 मुख्य विशेषताएं:
अनिवार्यता (Obligation): खरीदार और विक्रेता दोनों को एक्सपायरी पर समझौता पूरा करना होता है (या उससे पहले स्क्वेयर ऑफ करना होता है)।
लॉट साइज (Lot Size): तय मात्रा होती है (जैसे निफ्टी फ्यूचर्स के लिए 75 शेयर)।
मार्जिन (Margins): शुरुआत में 5–15% का मार्जिन + डेली मार्क-टू-मार्केट (MTM) कॉल्स संभव।
सेटलमेंट (Settlement): इंडेक्स के लिए कैश सेटलमेंट, स्टॉक्स के लिए फिजिकल डिलीवरी संभव।
📘 आसान उदाहरण:
आज का निफ्टी: 22,000
आप एक निफ्टी फ्यूचर लॉट 22,050 पर खरीदते हैं (एक महीने की एक्सपायरी)।
अगर एक्सपायरी पर निफ्टी 22,300 पर बंद होता है, तो लाभ = (22,300 – 22,050) × लॉट साइज
अगर गिरकर 21,800 हो जाए, तो उतना ही घाटा होगा।
🔹 ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स (Options Contracts)
ऑप्शन आपको एक अधिकार देता है (अनिवार्यता नहीं), कि आप किसी अंडरलाईंग एसेट को एक निर्धारित स्ट्राइक प्राइस पर एक्सपायरी से पहले या उस दिन खरीद (Call) या बेच (Put) सकते हैं।
प्रकार:
कॉल ऑप्शन (Call): खरीदने का अधिकार
पुट ऑप्शन (Put): बेचने का अधिकार
💰 प्रीमियम और पेऑफ:
प्रीमियम पहले से देना होता है (आपका अधिकतम नुकसान)।
पेऑफ प्रोफाइल:
पोजिशन
ब्रेकईवन
लाभ की संभावना
अधिकतम नुकसान
लॉन्ग कॉल
स्ट्राइक + प्रीमियम
असीमित लाभ
केवल प्रीमियम
लॉन्ग पुट
स्ट्राइक – प्रीमियम
स्ट्राइक तक लाभ
केवल प्रीमियम
शॉर्ट कॉल (नेकेड)
स्ट्राइक + प्रीमियम
प्रीमियम तक लाभ
असीमित नुकसान
शॉर्ट पुट (नेकेड)
स्ट्राइक – प्रीमियम
प्रीमियम तक लाभ
स्ट्राइक तक नुकसान
📘 उदाहरण:
Reliance का 2,500 CE ₹40 के प्रीमियम पर खरीदा।
अगर Reliance → ₹2,600 जाता है, तो लाभ = (2,600 – 2,500 – 40) × लॉट साइज।
अगर ≤ 2,500 रहा, तो केवल ₹40 का नुकसान।
🔍 F&O क्यों?
Leverage: कम पूंजी में बड़ा मूल्य नियंत्रित कर सकते हैं।
Hedging: अचानक उतार-चढ़ाव से पोर्टफोलियो को सुरक्षित रखने के लिए।
Flexibility: तेजी, मंदी या साइडवेज मार्केट – सभी में लाभ की संभावना।
📊 F&O चेन कैसे पढ़ें?
Expiry Date: हर गुरुवार (कुछ इंडेक्स के लिए साप्ताहिक)
Strike Price: जैसे 22,000, 22,100 आदि
Premium: उस ऑप्शन की वर्तमान कीमत
OI (Open Interest): मार्केट में एक्टिविटी व लिक्विडिटी का संकेत
🔄 लोकप्रिय रणनीतियाँ:
1. Covered Call
100 शेयर होल्ड करें; उसके खिलाफ एक कॉल ऑप्शन बेचें।
प्रीमियम कमाएं; अपसाइड कैप लेकिन डाउनसाइड को कुशन करता है।
2. Protective Put
शेयर होल्ड करें; नुकसान से बचाव के लिए पुट खरीदें।
यह बीमा की तरह कार्य करता है।
3. Bull Call Spread
लोवर स्ट्राइक का कॉल खरीदें; हायर स्ट्राइक का कॉल बेचें।
कम लागत, सीमित लाभ व हानि।
4. Bear Put Spread
हायर स्ट्राइक पुट खरीदें; लोअर स्ट्राइक पुट बेचें।
मार्केट गिरने पर सीमित लाभ की संभावना।
⚠️ जोखिम प्रबंधन:
पोजिशन साइजिंग: एक ट्रेड में कभी भी पूंजी का 2–3% से ज्यादा न लगाएं।
स्टॉप-लॉस / स्टॉप-प्रॉफिट: पहले से एग्ज़िट पॉइंट तय करें।
मार्जिन यूटिलाइजेशन: MTM पर नज़र रखें; अतिरिक्त फंड तैयार रखें।
वोलेटिलिटी मॉनिटर करें: IV बढ़ने से प्रीमियम महंगा हो जाता है, जो आपकी रणनीति को नुकसान पहुंचा सकता है।
सारांश:
Futures = वचनबद्धता, Options = विकल्प।
Leverage लाभ और हानि दोनों को बढ़ाता है — इसलिए अनुशासित ट्रेडिंग आवश्यक है।
हर मार्केट व्यू के लिए रणनीति मौजूद है (तेजी, मंदी, स्थिर)।
जोखिम नियंत्रण (स्टॉप-लॉस, साइजिंग) जरूरी है।
F&O ट्रेडिंग उच्च जोखिम वाली होती है और हर व्यक्ति के लिए उपयुक्त नहीं है। जहां लाभ की संभावना अधिक होती है, वहीं नुकसान भी उतना ही बड़ा हो सकता है — खासकर Leverage का उपयोग करते समय। हमेशा खुद को अच्छी तरह से शिक्षित करें, उचित जोखिम प्रबंधन अपनाएं, और उधार के पैसों या भावनाओं के आधार पर ट्रेड न करें। छोटे से शुरुआत करें, जानकारी रखें और केवल उतना ही निवेश करें जितना आप खो सकते हैं।